चीन के विकास की रफ्तार सुस्त पड़ी, आर्थिक विकास हुआ धीमा, नौकरियों की हालत हुई खस्ता

बीजिंग
दुनिया का ग्रोथ इंजन कहे जाने वाले चीन की विकास की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। आर्थिक विकास धीमा हो रहा है और इसका असर रोजगार पर भी दिख रहा है। ऐसे में सवाल है कि क्या है चीन में नौकरियों की हालत और देश के सामने ये संकट कितना बड़ा है। इसे पांच प्वाइंट में समझा जा सकता है। इसमें सबसे पहला है- रेकॉर्ड तोड़ बेरोजगारी। चीन में बेरोजगारी रेकॉर्ड स्तर पर है। पिछले साल जून का डेटा बताता है कि शहरों में 16 से 24 साल के युवाओं में यह 21.3% थी। अपनी नाक बचाने के लिए चीन ने अगले सर्वे में उन युवाओं को शामिल नहीं किया, जो पढ़ाई करते हुए नौकरी तलाश कर रहे है। इसके बाद भी इस साल मार्च में बेरोजगारी दर 15.3% थी।

चीन में दूसरा बड़ा संकट ग्रैजुएट युवाओं का है। यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालों और ग्रैजुएट युवाओं का संकट ज्यादा गहरा है। हालात छुपाने के लिए चीन इनकी बेरोजगारी का डेटा जारी नहीं करता। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में यूनिवर्सिटी से पढ़कर निकले 25.2% युवा बेरोजगार थे। उसी आधार पर आज अनुमान लगाएं, तो करीब एक तिहाई चीनी ग्रैजुएट बेरोजगार है। तीसरा संकट ये है कि युवाओं को नौकरी क्यों नहीं मिल रही है। इसकी वजह है कि यूनिवर्सिटी और वोकेशनल एंड टेक्निकल कॉलेज से हर साल बड़े पैमाने पर स्टूडेंट्स पढ़कर निकल रहे हैं। इनकी संख्या की तुलना में नौकरी के अवसर पैदा नहीं हो रहे। इस साल ही लगभग सवा करोड़ ग्रैजुएट तैयार होगे, साल 2000 की तुलना में करीब 10 गुना दो दशक पहले बेरोजगारों में ऐसे युवाओं का प्रतिशत केवल 9 था, जो अब 70% से ज्यादा हो 'चुका है।

क्या चीन की अपनी नीतियां ही जिम्मेदार?

एशियन फाइनेंशियल क्राइसिस से निपटने के लिए चीन ने शिक्षा पर खर्च की नीति अपनाई। इसके मुताबिक बच्चे नौकरियों के बजाय पढ़ाई पर जोर दें, जिससे मार्केट में पैसा आए। वन चाइल्ड पॉलिसी के चलते अभिभावकों के पास पैसा था, तो उन्होंने बच्चों की पढ़ाई पर लगा दिया। लेकिन, इससे एडमिशन बेहिसाब बढ़ गए और खूब कॉलेज-विश्वविद्यालय खोले गए।

चीन में बढ़ते संकट की वजह पढ़ाई के बाद रोजगार ना मिलना भी है। चीन में प्राइवेट इंस्टिट्यूट खुले, जिनमें एडमिशन आसान था लेकिन इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ा। चीनी कंपनियों की शिकायत है कि युवाओं में जरूरी स्किल की कमी है। ऐसे विषयों में ज्यादा एडमिशन हो रहे जिनकी इंडस्ट्री में डिमांड कम है। युवा अब ज्यादा क्वालीफाई हो रहे। रही-सही कसर चीन की घटती आर्थिक रफ्तार ने पूरी कर दी है।

Source : Agency

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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